भोपाल। मध्यप्रदेश के नगर प्रशासन विभाग में एक बड़ा खुलासा हुआ है। प्रदेश के 16 नगर निगमों में दर्ज 1.53 लाख अधिकारियों और कर्मचारियों में से करीब 36 हजार कर्मचारी अचानक ‘गायब’ पाए गए हैं। यह तथ्य तब सामने आया जब अक्टूबर के तीसरे सप्ताह से फेस अटेंडेंस सिस्टम को अनिवार्य किया गया और उसके बाद 12 नवंबर का उपस्थिति डेटा लीक हो गया।
सूत्रों के मुताबिक, फेस रिकॉग्निशन आधारित उपस्थिति लागू होते ही हजारों ऐसे कर्मचारी चिन्हित हुए, जिनकी उपस्थिति वर्षों से दर्ज तो होती रही, लेकिन वे वास्तविक रूप से कार्यालयों में मौजूद नहीं पाए गए। प्रारंभिक जांच में कई नगर निगमों में घोस्ट एम्प्लॉयीज की संख्या अधिक होने की आशंका जताई गई है।
विभागीय सूत्र बताते हैं कि पुराने बायोमेट्रिक सिस्टम में हेरफेर की शिकायतें लंबे समय से मिल रही थीं। नई व्यवस्था लागू होने के बाद पहली बार कर्मचारियों की वास्तविक कार्य उपस्थिति स्पष्ट तौर पर सामने आई है।
सरकारी सूत्रों का कहना है कि अब ऐसे सभी कर्मचारियों की सेवा पुस्तिका, वेतन भुगतान और कार्य विवरण की जांच की जा रही है। आवश्यक होने पर स्टाफ ऑडिट कर निलंबन, सेवा समाप्ति एवं आपराधिक कार्रवाई तक की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।
फेस अटेंडेंस सिस्टम लागू होने के बाद प्रशासन ने इसे पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में बड़ा कदम माना है। वहीं, इस खुलासे ने नगर निगमों में वर्षों से चली आ रही कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
